पैरों मैं पंख लिए  जब,  दौड़े चले वह नन्हे पग
नैना देख पुलकित होए, सुन्दर बने उनसे यह जग

ज़मीं पर टिके न टिकाये, वह नन्हे पैरों के दौड़ते निशाँ
चंचल पग को चूमना चाहें, इस व्याकुल धरती की प्यासी जाँ

 बचपन के यादों से लदे, तह दिल से दुआ करता हूँ
 बचपन मेरा बना रहे, दुआ रब से यही चाहता हूँ